Description
रोग, कारण और निवारण
डायबिटीज धीरे धीरे पूरे विश्व में महामारी का रूप ले रही है अमीर- गरीब एवं मध्यम वर्ग सभी लोग इस रोग से प्रभावित हो रहे हैं जिसमें शरीर अंदर से बेहद कमजोर होने लगता है रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है और यदि रोग नियंत्रित नहीं रहा तो कॉम्प्लिकेशन के रूप में नसों की कमजोरी, गुर्दे का फेल होना और आंखों की रोशनी की कमजोरी हो जाती है।
आधुनिक दृष्टि से डायबिटीज का ईलाज एकमात्र ग्लूकोज का लेवल मेंटेन करना मात्र ही है अर्थात एलोपैथिक दवाईयाँ ब्लड में ग्लूकोज के लेवल को केवल कम करती हैं। जिसके लिए आप जीवन पर्याप्त दवा के अधीन हो जाते हैं लेकिन आयुर्वेद के सिद्धांत एवं जीवनशैली को थोड़ा नियमित करके ऐसे घातक बिमारी से पूर्ण रूप से बचा सकते हैं और दवा भी बंद हो सकती है। जिसके लिए आपके प्रकृति के अनुसार उचित दवा का चयन डाइट प्लान एवं हैप्पीनेस इंडेक्स पर काम करने की आवश्यकता है भार्गव आयुर्वेदा में मिलकर डायबिटीज रिवर्सल का ट्रीटमेंट प्राप्त करें। आयुर्वेदिक इनग्रेडिएंट अग्नाशय पैंक्रियास के सेल्स को रिजूवनेट कर इंसुलिन बनाने में सहायक होते हैं। इंसुलिन ही ब्लड के ग्लूकोस को कोशिकाओं तक ले जाने का एक मात्र माध्यम है। जिसका निर्धारण सिरम peptide के माध्यम से जाना जाता है।
शुरुआती दौर मे शरीर का वजन बढ़ने लगे मोटापा केवल पेट और नितंब पर हो तो समझो आप शुगर के संभावित रोगी है इससे बचे और इसे रिवर्स करें। बार-बार प्यास, पेशाब का अधिक होना भूख भी अधिक लगना शरीर में थकान रहना, संक्रमण का प्रभाव जल्दी होना, हृदय का कमजोर होना आंखों की रोशनी में कमी ,हाथ पैरों में सुन्नपन होना या जलन की अनुभूति, योन दुर्बलता का होना यह सारे प्रमुख लक्षण होते हैं
कारण
1.किसी भी कारण से संक्रमण से जेनेटिक कारणों से इंसुलिन पैदा करने वाले सेल्स का नष्ट होना जिससे इंसुलिन की भीषण कमी आ जाती है इसे टाइप वन के नाम से जाना जाता है।
2.दूसरा मुख्य कारण पैंक्रियास की सेल्स का थकान और स्ट्रेस में रहने के कारण इंसुलिन बनाने की कार्य क्षमता में कमी।
3. उपरोक्त दोनों से यह स्पष्ट होता है यदि पैंक्रियाज के बीटा सेल्स को हेल्थी बना दिया जाए स्ट्रेस फ्री कर दिया जाए तो इंसुलिन का उत्पादन शरीर के आवश्यकता के लिए होने लगेगा।
निवारण
निवारण का प्रमुख आधार इंसुलिन बनाने वाले सेल्स की कार्यक्षमता में बढ़ोतरी, सेल्स के तनाव को कम करना प्रमुख है जिसके लिए कार्बोहाइड्रेट रिच डाइट ना लेने की सलाह दी जाती है। तनाव और अवसाद से मुक्त रहने का प्रयास करें। औषधि अपनी प्रकृति के अनुसार ऐसी लें जो इंसुलिन बनाने में मदद करें।
भार्गव आयुर्वेदा संस्थान, आयुर्वेद का डेडीकेटेड इकाई है जहां पर आप नब्ज के आधार पर शरीर के रोगों का इवैल्यूएशन ले सकते हैं।
बहुत गहन शोध एवं अनुभव के पश्चात मधु जीवन रस एवं न्यूरोमेज कैप्सूल फार्मूला मधुमेह के रोगियों के लिए बेहद लाभकारी है। अतः उपयोग करें शुगर के दुष्प्रभाव से बचे और अपने शरीर को तंदुरुस्त रखें।
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